धुंदी कळ्यांना अन धुंदी फुलांना! शब्दरूप आले मुक्या भावनांना!
Tuesday, 27 September 2016
कलम से लिखना छोड़ दिया है हमने
कलम से लिखना छोड़ दिया है हमने
जबसे निगाहों को मेरी पढ़ लिया है तुमने ....
कागज पे लिखना छोड़ दिया है हमने
जबसे धडकनों को मेरी थाम लिया है तुमने
मिलिंद कुंभारे
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